अंजीर की खेती। Anjir ki kheti | Fig farming


अंजीर गर्म क्षेत्रों में पाया जाने वाला  महत्त्वपूर्ण फल है| अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में इसके ताजे अर्द्ध-सूखे, सूखे फलों द्वारा तैयार पदार्थों की बढ़ती मांग को देखते हुये इसके व्यवसायिक उत्पादन की अपार सम्भावनाएं हैं| अंजीर एक लोकप्रिय फल है, जो ताजा और सूखा खाया जाता है| भारत में इसकी खेती राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात तथा उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में की जाती है|

विश्व स्तर पर इसकी खेती दक्षिणी और पश्चिमी अमरीका और मेडिटेरेनियन और उत्तरी अफ्रीकी देशों में उगाया जाता है| टर्की अंजीर का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। अंजीर की खेती वैज्ञानिक तकनीक से कर के इसकी फसल से अच्छा और गुणवत्ता युक्त उत्पादन प्राप्त कर सकते है|

अंजीर की प्रजातिया

अंजीर की प्रमुख वेरायटी पुणे रेड, एलीफैंट ईयर, वीपिंग फिग, इंडियन रौक, वाइट फिग. और दूसरे देशों की वेरायटी जो डायना फिग, ब्राउन टर्की, ब्रंसविक और ओसबौर्न आदि किस्में की खेती अभी भारत मे हो रही है।

पौधे की रोपाई की तैयारी:

अंजीर के पौधे लगाने  के लिये गड़ा तैयार के प्रति गड्डा 1 किलो वर्मीकम्पोस्ट खाद, और 15-20 ग्राम फॉस्फोरस अच्छे से मिट्टी में मिला दें। कलमें रोपने के एक महीने बाद और इतनी ही खाद 4 महीने बाद दें।

उपयुक्त जलवायु 

अंजीर की खेती भिन्न-भिन्न प्रकार की जलवायु में की जा सकती है, लेकिन अंजीर का पौधा गर्म, सूखी और छाया रहित उपोष्ण व गर्म-शीतोष्ण परिस्थितियों में अच्छी तरह फलता-फूलता है| पर्णपाती वृक्ष होने के कारण पाले का प्रभाव इस पर कम पड़ता है|

भूमि का चयन 

अंजीर को सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन दोमट और रेतीली मिट्टी जिसका pH मान 7 या उससे थोड़ा कम हो और जिसमे जल निकास प्रभंध अच्छा हो वह मिट्टी उत्तम होता है।

पानी

यह ड्रिप व नहरी दोनों तरह से पानी दे सकते है। इसकी खेती में ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती लेकिन हफ्ते में 1-2 बार पानी चाहिए।

पौधा रोपण

खेत की तैयारी करते समय  खोदे गये गड्डों में संतुलित खाद और उर्वरक डाल कर पौधा रोपण करें| पौधों की दुरी 10 x 10  फिट उपयुक्त रहती है, और रोपण का समय फरवरी से मार्च या जुलाई से अगस्त माह है।अंजीर के पौधों की लगाई इस प्रकार होनी चाहिए कि हर दिशा में इसका फैलाव बराबर हो और पौधे के हर हिस्से तक सूर्य का प्रकाश पहुँच सके| पुराने पेड़ों में भारी काट-छांट लाभप्रद होती है| एक वर्ष में कम से कम एक बार कटाई अति आवश्यक हैं।

खाद और उर्वरक

अंजीर के छोटे पौधों 1 से 3 वर्ष में 7 से 10 किलो गोबर की खाद और 3 वर्ष की आयु से बड़े पौधों में 15 से 25 किलोग्राम गोबर की खाद प्रति पौधा, प्रतिवर्ष डालनी चाहिए| उर्वरक का प्रयोग मिट्टी की आवश्यकता के अनुसार करें।

छाटनी

साल में ऐकबार इसकी छटनि ऐसे करनी चाहिए जिससे पौधे के हर हिस्से तक सूर्य का प्रकाश पहुंचे और हर दिशा में इसका फैलाव बराबर हो। इसमें फल 1-2 साल पुरानी टहनियों के साथ नई शाखाओं में लगता है, सुखी और रोग ग्रस्त शाखाओं काट-छांट तुरंत करना चाहिए।

कीट और रोग 

अंजीर में यु तो कोई मुख्य कीट या बीमारी नहीं देखी गई है। रेगुलर फंगस की दवाई देनी चाहिए।

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