ड्रेगन फ्रुट की खेती कैसे करे? - कमलम की खेती। Dragon fruit ki kheti - Dregon Fruit Farming
ड्रेगन फ्रुट - कमलम की खेती
ड्रैगन फ्रूट काफी समय से चर्चा में है, आजकल किसानों में बहुत लोकप्रिय हो रही है l ड्रैगन फ्रूट के नाम से पता चल रहा है कि यह विदेशी फल है। कम मेहनत और समय में यह फल बहुत ज्यादा मुनाफा देता है l एक बार पौधे लगाने के बाद 15 से 20 साल कमाई होती है। स्वास्थ के लिए भी यह फल बढ़िया है , अब सरकार भी किसानों को मदद कर रही है l गुजरात सरकार प्रति किसान दो हेक्टर तक के लिए 6 लाख सबसीडी दे रही है l अब पूरे देश के किसान ड्रेगनफ्रूट को लगा रहे हैं l
ड्रेगन फ्रूट की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु :
यह नम और गर्म जलवायु का पौधा है, 30 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान इसके लिए उपयुक्त है। तापमान को 10 से कम और 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होना चाहिए। 50 सेमी वार्षिक औसत बारिश की जरूरत होती है। मार्च से जुलाई के बीच में इसके पौधे और बीज लगाने के लिए बेहतर समय होता है।
ड्रेगनफ्रूट की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी :
इसे पानी जलजमाव होने वाली जमीन के अलावा किसी भी किस्म की मिट्टी में लगाया जा सकता है। ड्रेगनफ्रूट को रेतिली दोमट मिट्टी से लेकर दोमट मिट्टियों और बलुवाई मिट्टी मे लगाया जा सकता है। हालांकि बेहतर जल निकासी वाली मिट्टी इसकी उपज के लिए सबसे बेहतर है। ड्रेगन फ्रूट की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7 तक उपयुक्त माना जाता है।
पौधे का चयन
इस फल की खेती में पौधे का चयन बहुत महत्त्वपूर्ण है, इसमे में मुख्यत्व तीन वेरायटी लगाई जाती है।
◆सफेद गूदा वाला, गुलाबी रंग का फल
◆लाल गूदा वाला, गुलाबी रंग का फल
◆सफेद गूदा वाला पीले रंग का फल
स्वस्थ पौधे NHB की प्रमानित नर्सरी से ही लेना चाहिए l
खेत की तैयारी :
ड्रेगनफ्रूट के पौधे रोपाई करने से पहले खेत को 2 से 3 बार अच्छे से जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए। फिर खेत को समतल बना लेना चाहिए जिससे जलजमाव न रहे। खेत की अच्छी तरह से जुताई की वजह से मौजुद खरपतवार खत्म हो जाएंगी।
पौधे की रोपाई
ड्रेगनफ्रूट के पौधे को तेजी से बढ़ने के लिए कंक्रीट पोल के सपोर्ट की जरुरत होती है। 2 पोल के बीचमे 12 फिट बाय 12 फिट की जगह छोड़ देनी चाहिए। ऐक पोल में चारो तरफ 4 पौधे को रोपने के लिए 60 सेमी गहरा, 60 सेमी चौड़ा गड्डा खोदा जाए। रोपाई करते समय 100ग्राम जैविक कंपोस्ट और 100ग्राम सुपर फॉस्फेट पर पौधे मिट्टी में दिया जाना चाहिए। इस तरह से एक एकड़ खेत में 300 कंक्रीट पोल में 1200 पौधे लगाए जा सकते है।
ड्रैगनफ्रूट की सिंचाई
यह पौधा कैक्टस प्रजाति का होने की वजह से पानी की नाममात्र जरूरत रहती है। गर्मी के सीजन में 8 दिन में एक बार और सर्दियों में एक महीने में 2 बार सिंचाई की आवश्यकता रहती है। ड्रिप इरीगेशन विधि से तो पानी और कम लगता है। इसके जड़ गलन या कीड़े लगने का जोख़िम भी नहीं रहता।
खाद और उर्वरक प्रबंधन
प्रत्येक पौधे के सटिक वृद्धि के लिए सालभर में 10 से 15 किलो जैविक खाद दिया जाना चाहिए। इसके बाद प्रत्येक साल दो किलो जैविक खाद की मात्रा बढ़ाई जानी चाहिए। इस फसल को समुचित विकास के लिए रासायनिक खाद की भी जरूरत पड़ती है। वानस्पतिक अवस्था में इसको लगने वाली रासायनिक खाद का अनुपात पोटाश:सुपर फास्फेट:यूरिया = 40:90:70 ग्राम प्रति पौधे होता है। जब पौधों में फल लगने का समय हो जाए तब कम मात्रा में नाइट्रोजन और अधिक मात्रा में पोटाश दिया जाना चाहिए ताकि उपज बेहतर हो। फुल आने के ठीक पहले अप्रेल में और फल आने के समय जुलाई – अगस्त से लेकर फल को तोड़ने के दौरान इस अनुपात में रासायनिक खाद दिया जाना चाहिए : यूरिया:सुपर फास्फेट:पोटाश =50ग्राम:50 ग्राम:100 ग्राम प्रति पौधे। रासायनिक खाद प्रत्येक साल 220 ग्राम बढ़ाया जाना चाहिए जिसे बढ़ाकर 1.5 किलो तक किया जा सकता है।
कीट एवं रोग प्रबंधन
ड्रेगेन फ्रूट के खेती की खासियत ये है कि इसके पौधों में अब तक किसी तरह के कीट लगने या पौधों में किसी तरह की बीमारी होने का मामला सामने नहीं आया है। दिमक और फंगस की दवाई समय समय पर देनी चाहिए।
उत्पादन और कमाई
15 साल तक इसमें फ्रूट लगेगा जो तीसरे साल से भरपूर उत्पादन देने लगेगा। साल में एक पेड़ से कम से कम छह बार फल तोड़ा जा सकता है। फल तोड़ने लायक हुए हैं या नहीं इसको फलों के रंग से आसानी से समझा जा सकता है। कच्चे फलों का रंग गहरे हरे रंग का होता जबकि पकने पर इसका रंग लाल हो जाता है। रंग बदलने के तीन से चार दिन के अंदर फलों को तोड़ना उपयुक्त होता है लेकिन अगर फलों का निर्यात किया जाना हो तो रंग बदलने के एक दिन के भीतर ही इसे तोड़ लिया जाना चाहिए। मेहनत के बल पर एक एकड़ से 50 क्विंटल फल हो सकते हैं। बाजार में 200 रु से 250 रु तक दाम मिलने की वजह से एक एकड़ से पांच लाख रुपए कमाए जा सकते हैं। अन्य कोई फसल इतनी कमाई नहीं दे पाती।
ड्रैगन फ्रूट के यह फायदे:
ड्रेगन फ्रूट को ताजे फल के तौर पर खा सकते हैं साथ ही इस फल से जैम, आइस क्रीम, जैली, जूस और वाइन भी बना सकते हैं। सौंदर्य प्रसाधन के तौर पर भी इसे फेस पैक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। ड्रैगन फ्रूट शरीर में एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है। ड्रैगन फ्रूट खून को साफ करने, शरीर की फालतू चर्बी को रिमूव करने, प्लेटनेट सेंल बढ़ाने आदि का काम करता है। इम्युनिटी बढ़ाने, कॉलेस्ट्रॉल घटाने, हीमोग्लोबिन बढ़ाने, हृदय रोग जैसी बीमारियों के मामलों में ड्रैगन फ्रूट को बहुत फ़ायदेमन्द बताया जाता है।
अब भारतीय बाज़ार में बढ़ती डिमांड को देखकर
किसान परंपरागत खेती से दूर हट कर इन दिनों वैज्ञानिक पद्धती से ड्रेगनफ्रूट की खेती करना शुरू कर दिया है। उद्यान विभाग की तरफ से किसानों को जागरूक करके ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए अनुदान दिया जाता है। किसानों से लेकर नौकरी-पेशा वाले युवा भी अब ड्रैगन फ्रूट की खेती में दिलचस्पी ले रहे हैं. किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती करके लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं.

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