जीरेनियम की खेती किस्मत बदल देंगी। Geranium ki kheti kaise kare| Geranium farming
जिरेनियम क्या है?
जिरेनियम का वैज्ञानिक नाम ‘पिलारगोनियम ग्रेवियोलेन्स’ है। ये मूलरूप से अफ्रीका का पौधा है। जिरेनियम का मुख्य उत्पाद इसकी पत्तियों, तने और फूलों से निकलने वाला तेल है। इसका तेल पूरी दुनिया में असंख्य हर्बल उत्पादों, जैविक दवाईयों और एरोमा-थेरेपी, सौंदर्य प्रसाधन के क्षेत्र में होता है। इसके तेल की अंतर्राष्ट्रीय मांग 600 टन से अधिक है, जो ज्यादातर चीन, मोरक्को, मिस्र और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों द्वारा परी की जाती है। जिरेनियम के तेल की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उन्नत कृषि तकनीकें विकसित की गई हैं, जो पैदावार बढ़ाने में सहायक हैं। इन कृषि तकनीकों को अपनाकर किसान उच्च गुणवत्ता वाले तेल को प्राप्त कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
जलवायु
इसकी खेती के लिए हर तरह की जलवायु अच्छी मानी जाती है। इसे 1000 से 2000 मीटर तक अलग-अलग ऊंचाई पर उगाया जा सकता है। लेकिन दोमट और शुष्क मिट्टी अच्छी मानी जाती है। मिट्टी का पीएचमान 5.5 से 7.5 होना चाहिए। लेकिन यह कम आर्द्रता वाली हल्की जलवायु में अच्छा ग्रोथ करती है। फसल को 100 से 150 सें.मी. वार्षिक बारिश की आवश्यकता होती है। इस मात्रा से अधिक बारिश की वजह से कई कवक रोगों का कारण बनती है और फसल की पैदावार को प्रभावित करती है।
जिरेनियम की प्रमुख प्रजातियां
बोरबोन अल्जीरियन/ट्यूनीस्पिन इजिप्सियन/केलकर, सिम-पवन किस्में हैं।
पौधेकी नर्सरी कैसे तैयार करे
वैसे तो जीरेनियमकी खेती नवंबर से लेकर फरवरी तक किसी महीने में की जा सकती है लेकिन वैज्ञानिक फरवरी को सही समय मानते है। इसलिए अक्टूबर महीने से नर्सरी तैयार करनी शुरु कर दी जाती है। जिरेनियम का पौधा बनाने के लिए मदरप्लांट से गांठ के पास से 10-12 कटिंग ब्लेड से काटकर अलग-अलग लगाते जाते है।20-25 दिन में नर्सरी में पौधे तैयार हो जाते है। बारिश में पौधे मर जाने की समस्या नर्सरी में है। इसलिए प्लांटिंग मैटेरियल (पौध) बचाने के लिए इसे वातानिकुलित पोलीहाउस में बनाय जाता है। सीमैप के मुताबिक पहले की महंगी तकनीकी में एक पौधे की लागत 30-35 रुपए आती थी,जबकि बचते थे सिर्फ 85 फीसदी पौधे,लेकिन नई विधि में 95 फीसदी तक पौधे की बचत होती है और लागत प्रति पौध सिर्फ 2 रुपए ही आती है। पौध की लागत कम होने से इसे आम किसान भी लगाने लगे हैं।
भुमी की तैयारी
जीरेनियम के पौधे रोपाई करने से पहले खेत को 2 से 3 बार अच्छे से जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए। फिर खेत को समतल बना लेना चाहिए जिससे पानी कही भरा हुआ न रहे।
पौधे की रोपाई पद्धती
पौध रोपाई के लिए तैयार खेत में 50 से 60 दिनों पुरानी जड़युक्त पौध को 50x50 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपाई करनी चाहिए। एक एकड़ खेत में 20 हजार से 22 हजार पौधे लगते है।
खाद एवं उर्वरक
जीरेनियम के पौधे के अच्छे विकास के लिए प्रति हेक्टेयर 10 टन वर्मीकम्पोस्ट खाद डालनी चाहिए।
रोपाई के 20 दिन बाद रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल कर शकते है। नाइट्रोजन 150 किलोग्राम, फास्फोरस 60 किलोग्राम और पोटाश 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए।
सिंचाई
रोपाई के बाद तुरंत सिंचाई करनी चाहिए। मौसम और मिट्टी की प्रकृति के अनुसार 5 से 6 दिन के अंतर पर सिंचाई करना चाहिए। यह कम पानी वाली फसल है इसलिए आवश्यकता से अधिक सिंचाई नहीं करनी चाहिए। अधिक सिंचाई से पौधे में जड़ गलन रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
फरवरी-मार्च में इसकी खेती की जाए तो पौध तेजी से बढ़ती है। इसमें 30 फीसदी तक पानी कम लगता है। 3 से 4 महीने बाद पत्तियों के परिपक्व होने के बाद पत्तियों की पहली कटाई करना चाहिए। कटाई के वक्त्त पत्तियां पीली या अधिक रस वाली नहीं होनी चाहिए। चार महीने की इस फसल से प्रति एकड़ एक लाख रुपए तक की आमदनी हो सकती है। किसान के लिए यह ज्यादा अच्छी फसल है। इसे पशु भी नुकसान नहीं करते हैं। किसान पौध के लिए सीमैप संपर्क कर सकते हैं।

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