अनार की उन्नत खेती का तरीका। डाळिंब खेती। pomegranate farming | anar ki kheti kaise kare

 
अनार का पौधा

अनार की खेती

अनार का पौधा दो से तीन साल में पेड़ बनकर फल देने लगता है और एक पेड़ करीब 25 वर्ष तक फल देता है। साथ ही अब तक के अनुसंधान के मुताबिक प्रति हैक्टेयर उत्पादकता बढ़ाने के लिए अगर दो पौधों के बीच की दूरी को कम कर दिया जाए तो प्रति पेड़ पैदावार पर कोई असर नहीं पड़ता है। लेकिन ज्यादा पेड़ होने के कारण प्रति हैक्टेयर उत्पादन करीब दो गुना हो जाता है। परंपरागत तरीके से अनार के पौधों की रोपाई करने पर एक हैक्टेयर में 400 पौधे ही लग पाते हैं जबकि नए अनुसंधान के अनुसार 12फीट बाय 8फीट में अनार के पौधों की रोपाई की जाए तो पौधों के फलने-फूलने पर कोई असर नहीं पड़ेगा और एक हैक्टेयर में 1100 पौधे लगने से पैदावार दो गुना तक बढ़ जाएगी। 

एक पौधे से कितने फल 

एक सीजन में एक पौधे से लगभग 40 से 50 किलो फल मिलते हैं। इस हिसाब से बीच की दूरी कम करके पौधे लगाने से प्रति हैक्टेयर 450 से 550 क्विंटल तक फल मिल जाते हैं। इस हिसाब से एक हैक्टेयर से आठ-दस लाख रुपये सालाना आय हो सकती है। लागत निकालने के बाद भी लाभ आकर्षक रहेगा। नई विधि को काम लेने से खाद व उर्वरक की लागत में महज 15 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी होती है जबकि पैदावार दो फीसदी बढ़ने के अलावा दूसरे नुकसानों से भी बचाव होता है। पौधों के बीच की दूरी कम होने से माइक्रोक्लाइमेट के कारण तेज गर्मी और ठंडक दोनों से पौधों का बचाव होने के साथ बर्ड डेमेज यानी पक्षियों से फलों को होनेवाला नुकसान भी कम हो जाता है। गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र के  किसानों ने इस विधि को अपना कर देखा है। इसके बेहतर परिणाम मिले हैं।

अनार की उन्नत किस्मे

भगवा किस्म- इस किस्म के फल बड़े आकार के और भगवा रंग के चिकने चमकदार होते हैं. बीज मुलायम होते हैं. यह किस्म राजस्थान और महाराष्ट्र के लिए बहुत उपयुक्त मानी जाती है.

गणेश किस्म- अनार की इस किस्म को तैयार होने में 160 दिन का समय लग जाता है | इसके पौधे उच्च तापमान को अधिक समय तक सहन नहीं कर पाते है | यदि उच्च तापमान अधिक समय तक बना रहता है, तो फलो की गुणवत्ता में कमी आ जाती है | इसके फलो के छिलको का रंग गुलाबी पीला तथा बीज गुलाबी रंग के होते है | इसके बीज रसेदार और बहुत मुलायम होते है | 

मृदुला किस्म- इसके फल मध्यम आकार के चिकनी सतह वाले गरे लाल रंग के होते हैं. बीज लाल रंग के मुलायम, रसदार और मीठे होते हैं. इस किस्म के फलों का औसत वजन 300 ग्राम तक होता है.

अरक्ता किस्म- यह अच्छी पैदावार देने वाली किस्म है. इसके फल बड़े आकार के, मीठे और मुलायम बीजों वाले होते हैं. छिलका आकर्षक लाल रंग का होता है.

पौधों में दूरी 

प्रति हेक्टेयर उत्पादकता बढ़ाने के लिए अगर दो पौधों के बीच की दूरी को कम कर दिया जाए तो पौधों की बढ़वार पर कोई असर नहीं पड़ेगा और उपज भी करीब डेढ गुना बढ़ जाएगी। अनार का एक पौधा  12फीट बाय 8फीट की दुरी पर लगाया जा सकता है।

अनार के पौधों को लगाने का सही समय अगस्त या फरवरी-मार्च होता है। ऐसे में खरीफ सीजन के दौरान अगस्त में अनार के पौधों की रोपाई करते हैं तो तीन-चार साल बाद पेडों पर फल देना शुरू कर देंगे और एक बार निवेश का लाभ कई सालों तक मिलता रहेगा। 

पौधे के रोपण का समय 

अनार के पौधों को लगाने का उपयुक्त समय भी अगस्त या फरवरी-मार्च होता है। किसान अगस्त में अनार के पौधों की रोपाई करते हैं तो तीन-चार साल बाद पेड़ों पर फल देना शुरू कर देंगे और एक बार किए गए निवेश का लाभ कई सालों तक मिलता रहेगा। अनार के पौधे लगाने में अनुसंधानकर्ताओं द्वारा खोजी गई नई विधि को काम में लिया जाए तो मुनाफा और बढ़ सकता है। 

खाद का प्रयोग 

अनार के फल जुलाई-अगस्त में लेने के लिये जून माह में 3 वर्षीय पौधों में 150 ग्राम, चार वर्षीय पौधों में 200 ग्राम, पांच या अधिक वर्षीय पौधों में 250 ग्राम यूरिया प्रति पौधा देकर सिंचाई करें। छोटे पौधों में भी यूरिया इसी माह में दें। एक वर्षीय में 50 ग्राम व दो वर्षीय में 100 ग्राम यूरिया प्रति पौधा देकर सिंचाई करें। वैसे जुलाई-अगस्त में अनार की उपज भी अच्छी होती है तथा बाज़ार भी ठीक रहता है। 

रोगों से बचाव का तरीका 

अनार के पौधों में फल छेदक और पौधों को सड़ाने वाले कीड़े लगने का खतरा रहता है। इसके लिए कीटनाशक के छिड़काव के साथ पौधे के आसपास साफ-सफाई रखने से भी कीड़ो से बचाव होता है। अनार के पौधों के लिए गर्मियों का मौसम तो प्रतिकूल नहीं होता, लेकिन सर्दियों में पाले से पौधों को बचाने के लिए गंधक का तेजाब छिड़कते रहना जरूरी है। नियमित रूप से पानी देने से पाले से बचाव होने से पौधे जलने से बच जाते हैं। सर्दी के मौसम में फलों के फटने की आशंका ज्यादा होती है। इसलिए पौधों का सर्दी से बचाव करके फलों को बचाया जा सकता है। इस तरह खरीफ में दूसरी फसल के साथ अनार के पौधे लगाकर किसान कमाई का एक अतिरिक्त जरिया तैयार कर सकता है। 

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