ग्रीनहाउस में टमाटर की खेती के तरीके -TOMETO KI KHETI
ग्रीनहाउस या पॉलीहाउस में सामान्य खेती से 3-4 गुना अधिक उत्पादन ऑफ सीजन में किया जा सकता है और इसमें कीट ओर रोगों का प्रकोप भी कम होता है. ग्रीनहाउस में उच्च गुणवत्ता वाले टमाटर का उत्पादन होता है. इसलिए किसान अब धीरे-धीरे संरक्षित खेती (ग्रीनहाउस या पॉलीहाउस) को महत्व देने लगे हैं.
टमाटर की खेती के लिए जलवायु (Climate for Tomato Farming)
टमाटर की खेती सभी मौसम में की जा सकती है लेकिन ग्रीष्म काल में उत्पादन बहुत कम हो जाता है. क्योंकि ग्रीनहाउस मे तापमान और नमी नियंत्रित रहती है इसलिए किसी भी मौसम में इसका उत्पादन लिया जा सकता है. अच्छी गुणवत्ता वाले टमाटर की फसल हासिल करने के लिए तापमान 16-22 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए. टमाटर को लाल रंग देने के लिए तापमान का 21 डिग्री सेल्सियस से अधिक होना उचित रहता है.
उन्नत किस्में (Improved varieties)
ग्रीन हाउस के लिए कुछ उपयुक्त किस्में DARL-303, HT-6, सन-7666, NS-1237, NS- 4130, COTH-1, NDT-5, NDT-120, नवीन, लक्ष्मी, पूसा दिव्या, अबिमन, अर्का सौरभ, पंत बहार, अर्का रक्षक, पूसा चेरी टमाटर-1 हैं.
टमाटर की बुवाई/रोपण का तरीका (Method of sowing/ planting)
टमाटर की नर्सरी बोने के लिए प्रति एकड़ लगभग 80 से 100 ग्राम संकर (हाइब्रीड) टमाटर का बीज लगता है. टमाटर की पौध पांच से छह सप्ताह में रोपाई के लिए तैयार हो जाती है. रोपण के समय पौधों के बीच की दूरी का ध्यान रखना जरूरी होता है. हमेशा क्यारियां जमीन से 15 से 20 सेंटीमीटर उठी हुई बनाई जानी चाहिए. पौध की रोपाई ग्रीन हाउस में तीन फुट चौड़ी मेंड पर दोहरी लाइनों में 30-60 सेंमी की दूरी पर की जाती है. इस प्रकार 1000 वर्ग मीटर के ग्रीनहाउस में लगभग 2400 से 2600 पौधें लगाए जा सकते हैं.
ग्रीन हाउस में इस तरीके से करें टमाटर की रोपाई के तुरंत बाद सूक्ष्म सिंचाई ड्रिप द्वारा की जाती है. सिचाई बूंद-बूंद पद्धति से करने पर टमाटर उत्पादन और गुणवत्ता के बढ़ोतरी के साथ पानी में भी बचत होती है.
ग्रीन हाउस में उगाई गई संकर टमाटर की ऊंचाई 8-10 फुट से अधिक हो जाती है, जिसे रस्सियों से सहारा दिया जाता है. पौधों को रस्सियों के सहारे लपेटकर ऊपर की ओर चढ़ाया जाता हैं, ताकि टमाटर जमीन पर छूने से खराब न हो. पौध रोपण से पहले खरपतवार निराई करके निकाल दें. साथ ही जरूरत के हिसाब से खाद और उर्वरक डालें. ड्रिप सिंचाई से पानी के साथ उर्वरक दिए जा सकते हैं.
दीमक या अन्य भूमिगत कीटों की रोकथाम के लिए नीम की खली या बुवेरिया बेसियाना या मेटारिजियम जैसे जैविक उत्पाद का गोबर की खाद के साथ इस्तेमाल कर सकते हैं. रोग नियंत्रण के लिए ट्राइकोडर्मा जैविक फफूंदनाशी का उपयोग कर सकते हैं.
पौध संरक्षण (Plant protection)
जड़ ग्रंथि सूत्रकृमि: ये सूत्रकर्मी (नेमाटोड्स) जड़ों पर आक्रमण करते हैं एवं जड़ में छोटी छोटी गाँठ बना हैं, सूत्रकृमि से ग्रसित पौधों की वृद्धि रुक जाती है एवं पौधा छोटा ही रह जाता है. इसका अधिक संक्रमण होने पर पौधा सूखकर मर जाता है.
इसके नियंत्रण के लिए कार्बोफ्युरोन 3% GR या नीम खली के साथ पेसिलोमाइसिस लिनेसियस का उपयोग मिट्टी उपचार के लिए करें
पछेती अंगमारी: इस रोग में सबसे पहले टमाटर की पत्तियों की ऊपरी सतह पर बैगनी-भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं और पत्तियों की निचली सतह पर भूरे-सफ़ेद रंग के धब्बे हो जाते हैं. इसके संक्रमण की वजह से पत्तियां सूख जाती हैं.
इसके प्रबंधन के लिए एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC @ 1.25 ग्राम या मैनकोज़ेब 64% + मेटालैक्सिल 8% WP 3 ग्राम या टेबुकोनाज़ोल 50% + ट्रायफ्लोक्सीस्त्रोबिन 25% WG @ 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. या जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
फली छेदक कीट: इसकी लट्ट फल के अंदर जाकर फल को सड़ा देती है. इस कीट के नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 0.5 प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. या जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
सिंचाई व उर्वरक प्रबंधन (Irrigation and Fertilizer Management)
कम दाब वाली सिंचाई प्रणाली में 1000 लीटर पानी की टंकी को 1.5 से 2.0 मीटर ऊंचे प्लेटफार्म पर रखा जाता है और यह 1000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाले ग्रीनहाउस की सिंचाई व उर्वरक देने के लिये पूर्णतया सक्षम है.
ड्रिप सिंचाई के माध्यम से पानी में घुलनशील उर्वरकों का घोल जो सामान्यतः नत्रजन फास्फोरस और पोटाश को 5:3:5 अनुपात में मिलाकर विभिन्न अवस्थाओं पर विभिन्न मात्रा में दिया जाता है. रोपाई से फूल आने तक 4.0 से 5.0 घन मीटर पानी प्रति 1000 वर्ग मीटर क्षेत्र में एक बार में दिया जाता है.1000 लीटर की टंकी में घोल बनाने के लिए 100 किलो सल्फेट ऑफ पोटाश और यूरिया की 75 किलो मात्रा को पानी में घोला जाता है. सर्दियों के मौसम में सप्ताह में 2 बार तो गर्मियों में सप्ताह के दौरान 3 बार सिंचाई करें.
पौधे को सहारा देना और कटाई-छंटाई (Plant support and pruning)
पौधों को रोपाई के 20 से 25 दिन बाद क्यारियों के ऊपर लगभग 8 फीट की ऊँचाई पर तारों के साथ बंधी हुई रस्सियों के साथ लपेटा जाता है. पौधों में एक मुख्य शाखा छोड़कर समस्त अन्य शाखाओं को कटाई-छंटाई करके हटा दिया जाता है. कटाई-छंटाई की यह प्रक्रिया लगातार लगभग 15 से 25 दिन के अन्तराल पर की जाती है. जब पौधे तारों की ऊँचाई तक बढ़ जाते हैं तो उन्हें प्रत्येक कटाई-छंटाई के समय 1 से 2 फीट नीचे उतार दिया जाता है.
फलों की तुड़ाई और उपज (Fruit harvesting and yield)
टमाटर में तुड़ाई कैंची या तेज धार वाले चाकू से करें. फलों को पकने के बाद (लाल रंग होने की अवस्था में) तोड़ें और तुड़ाई के बाद रंग, आकार व भार के अनुसार ग्रेडिंग करें.
टमाटर का उत्पादन जलवायु, किस्म और फसल प्रबन्धन पर निर्भर करता है. चेरी टमाटर से 2.0 से 3.0 टन तक पैदावार ली जा सकती है. वातावरण नियंत्रित ग्रीनहाउस में समान्यतः 10 से 15 टन टमाटर की पैदावार प्रति 1000 वर्ग मीटर से प्राप्त की जा सकती है.
भंड़ारण (Storage)
गर्मी में तुड़ाई के एक दो दिन बाद बेचने के लिए 8-10 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान पर रखा जाता है लेकिन सर्दी में कमरे के तापमान पर ही रखना पड़ता है.
लागत (Expenditure)
1000 वर्ग मीटर क्षेत्र में ग्रीनहाउस बनाने में लगभग 10 लाख रुपये का खर्चा आ जाता है तथा इसके लिए सरकार की तरफ से सब्सिडी प प्रावधान भी किया गया है. छोटे किसान 500 वर्ग मीटर तक का भी ग्रीनहाउस बना सकते है.
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