पैगाम्बरी देसी गेहूं की खेती

 
पैगाम्बरी देशी गेंहू

पैगाम्बरी देसी गेहूं भारत का एक प्राचीन देसी गेहूं (शुगर फ्री गेहूं) है। आज से करीब 15 साल पहले मटर की फसल के बीच में हमे एक गेहूं का ऎसा पौधा मिला , जो देखने में समान्य गेहूं के पौधों से काफी भिन्न था! उसी एक पौधे से हमने इस के बीज संवर्धन की शुरुआत थी... किन्तु इस एक पौधे ने हमे इस गेहूं पर शोध करने के लिए प्रेरित किया!

पैगाम्बरी गेहूं लोकप्रिय रूप से अपने आकर्षक चमकीले छोटे गोल मोती जैसे दाने के कारण शुगर फ्री गेहूं के रूप में जाना जाता है यह एक प्रकार का ट्रिटिकम_स्फेरोकोकम  गेहूं है- इस का दाना गोल आकार का और पौधा बौनी प्रजाति का होता है, जिस के पौधे की ऊंचाई 70 से 80 से.मी. तक होती है!

सही मायनों में देखा जाए तो यह गेहूं पहला भारतीय गेहूं कहा जाता है क्योंकि इसकी उत्पत्ति सिंधु घाटी सभ्यता से हुई थी और यह उस सभ्यता में मुख्य भोजन में से एक था ... इसके विपरीत यह माना जाता है कि भारतीय उपमहाद्वीप में लगभग 4000 साल पहले बौना गेहूं विकसित किया गया था। संभवत: वह यही गेहूं है!

मधुमेह की बढ़ती घातक बीमारी को देखते हुए मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के भगवंतराव मंडलोई कृषि कॉलेज ने इसी देसी प्रजाति पैगाम्बरी गेहूं से एक नई किस्म तैयार की है, इस गेहूं के सेवन से मधुमेंह की बीमारी कंट्रोल की जा सकती है...


दुनियाभर में तेजी से शुगर के मरीजों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए खंडवा के भगवंतराव मंडलोई कृषि कॉलेज के वैज्ञानिकों ने गेहूं की एक प्राचीन प्रजाति का पता लगाया है, गेहूं की इस प्रजाति का प्राचीन नाम पैगाम्बरी है, किन्तु कृषि वैज्ञानिकों के इस प्रजाति पर किए गए अपने शोध में कई स्वास्थ्य लाभ देने वाले गुण पाए गए हैं.... इस कारण वैज्ञानिकों ने इस प्रजाति से एक नई किस्म तैयार की है...जो शुगर फ्री है। यह डायबिटीज के मरीजों के लिए वरदान साबित होगा। वैज्ञानिकों का यह प्रयोग स्थानीय स्तर पर सफल सिद्ध हुआ है!

कृषि वैज्ञानिक सुभाष रावत ने बताया कि शुगर कंट्रोल करने के लिए कृषि कॉलेज में गेहूं की प्राचीन देसी प्रजाति से गेहूं की एक नई किस्म ए-12 तैयार की गई है। इसे शुगर फ्री गेहूं का नाम दिया है। इसमें शुगर व प्रोटीन की मात्रा कम है। अब कॉलेज इसकी खेती बढ़े स्तर पर कराने की तैयारी कर रहे हैं। ताकि शुगर से पीढि़त मरीजों को ठीक किया जा सके।

कृषि वैज्ञानिक सुभाष रावत  ने बताया कि कॉलेज में पिछली बार भी यह गेहूं लगाया था। इसके अच्छे परिणाम समाने आए थे। साथ ही किसानों को जागरूक किया जा रहा है, ताकि वह गेहूं की यह किस्म ए-12 की ज्यादा से ज्यादा बुवाई करें!

पैगाम्बरी गेहूं की प्रजाति का दाना देखने में मैथी के दाने की तरह है। जबकि सामान्य गेहूं का दाना लंबा व अंडे के आकार का होता है। इसमें छिलका व फाइबर अधिक और प्रोटीन की मात्रा कम होती है।

पैगाम्बरी गेहूँ की विशेषताएँ : 

इस गेहूं के संबंध में समृध्दि देसी बीज बैंक, रुठियाई द्वारा किए कृषि शोधात्मक विश्लेषण में यह पाया गया कि यह किसी भी प्रकार की मिट्टी में बोया जा सकता है, वैसे तो इस की सिंचाई के लिए 4 से 5 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है, किन्तु काली दोमट उपजाऊ मिट्टी में केवल 2 सिंचाई में भी पककर तैयार हो जाता है!

अगर इस के उत्पादन की बात करें तो पर्याप्त सिंचित, कार्बनिक तत्वों से भरपूर उपजाऊ भूमि पर 60 से 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन लिया जा सकता है!

इस की बुवाई नवम्बर के प्रथम सप्ताह से लेकर जनवरी के प्रथम सप्ताह तक की जा सकती है!
इस की फसल 120 से 125 दिन में पककर तैयार हो जाती है!

इस का भूसा बहुत बारीक निकलता है, जिसे पशु बहुत पसन्द करते हैं!

अब इस के उपयोग पर अगर हम नजर डाले तो, इस का उपयोग मुख्य रूप से रोटियां बनाने, ब्रेड टोस्ट बनाने, दलिया बनाने, और इस के दानों से चावल की तरह खीर बनाने में किया जाता है!
इस गेहूं की रोटियां बहुत ही मुलायम, सफेद और स्वादिष्ट होती हैं!

पैगाम्बरी गेंहू खाने के फायदे

1. एनर्जी के लिए
पैगम्बरी गेहूं खाने से एनर्जी मिलती है। ये ऊर्जा का एक बहुत अच्छा स्स्रोत है। यह वजन घटाने में भी सहायक है। दरअसल, इसे खाने के बाद काफी देर तक भूख नहीं लगती। इससे वजन कंट्रोल भी होता है।

2. स्वस्थ दिल के लिए
पैगाम्बरी गेहूं कोलेस्टेरोल लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है। इससे दिल से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा कम हो जाता है। इसमें मैग्नीशियम और पोटेशियम भी है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मददगार है।

3. पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में सहायक पैगाम्बरी
गेहूं में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में सहायक है। इस गेहूं को खाने से कब्ज की समस्या भी नहीं होती है।

4. कैंसर से बचाब के लिए पैगाम्बरी
गेहूं की खेती जैविक तरीके से की जा रही है, इसलिए यह कैंसर से बचाव में भी सहायक है। डायबिटीज के मरीज इसका नियमित सेवन कर शुगर कंट्रोल कर सकते हैं।

पैगाम्बरी गेहूं की खासियत
- आकार मैथी की तरह है!
- बाजरे की तरह गुण है!
- अन्य गेहूं की अपेक्षा प्रोटीन कम है!
- छिलका ज्यादा है!
- जल्दी पचने वाली वैरायटी है!
- फायबर अधिक है!

     
संयोजक -समृध्दि देसी बीज बैंक, रुठियाई बीज_नायक_गुना :(राज्य जैव विविधता बोर्ड, भोपाल, म. प्र.

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