आम की खेती और उसकी सबसे ज्यादा फेमस वेरायटी के बारे में इस आर्टिकल में पढ़े। Aam ki kheti
आम एक प्रकार का रसीला फल होता है। इसे भारत में फलों का राजा भी बोलते हैं। इसकी मूल प्रजाति को भारतीय आम कहते हैं, इस फल की प्रजाति पहले केवल भारतीय उपमहाद्वीप में मिलती थी, इसके बाद धीरे धीरे अन्य देशों में फैलने लगी। इसका सबसे अधिक उत्पादन भारत में होता है। यह भारत, पाकिस्तान और फिलीपींस में राष्ट्रीय फल माना जाता है और बांग्लादेश में इसके पेड़ को राष्ट्रीय पेड़ का दर्जा प्राप्त है।
गुजरात में सबसे ज्यादा आम जूनागढ़, कच्छ ओर वलसाड में होती है।
पहली बारिश के बाद शुरू करें बाग़ लगाने की तैयारी
मानसून की शुरूआत होने वाली है और ये समय आम की खेत के लिए उचित है। आम की बागवानी भी कम लागत में मुनाफे की फसल साबित हो रही है। अगर किसान आम की बागवानी लगाना चाहते हैं, तो पहली बारिश के बाद ही इसकी तैयारी शुरु कर देनी चाहिए।
जलवायु और भूमि
आम की खेती की कहीं भी की जा सकती है,जहां अच्छी वर्षा और सूखी गर्मी रहती हैं, पुष्पन अवधि के दौरान उच्च आर्द्रता, वर्षा या सर्दी न हों। उन क्षेत्रों से बचकर रहना बेहतर है जहां हवाएं और चक्रवात आते रहते हैं, जो पुष्प और फल के झड़ने के और शाखाओं के टूटने के कारक बन सकते हैं। आम की खेती के लिए किस प्रकार की जलवायु और भूमि की आवश्यकता होती है। आम की खेती उष्ण एव समशीतोष्ण दोनों प्रकार की जलवायु में की जाती है। इसके लिए 23.8 से 26.6 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान अति उत्तम होता है। आम की खेती प्रत्येक किस्म की भूमि में की जा सकती है। लेकिन अधिक बलुई, पथरीली, क्षारीय और जल भराव वाली भूमि में इसे उगाना लाभकारी नहीं है।
प्रवर्धन
आम के बीज पौधे तैयार करने के लिए आम की गुठलियों को जून-जुलाई में बुवाई कर दी जाती है, आम की प्रवर्धन की विधियों में भेट कलम, विनियर, साफ्टवुड ग्राफ्टिंग, प्रांकुर कलम तथा बडिंग प्रमुख है। विनियर और साफ्टवुड ग्राफ्टिंग द्वारा अच्छे किस्म के पौधे कम समय में तैयार कर लिए जाते है।
गड्ढ़ों की तैयारी में सावधानियां
वर्षाकाल आम के पेड़ों को लगाने के लिए सारे देश में उपयुक्त माना गया है। जिन क्षेत्रो में वर्षा अधिक होती है वहां वर्षा के अन्त में आम का बाग लगाना चाहिए। लगभग 50 सेन्टीमीटर व्यास एक मीटर गहरे गढ्ढे मई माह में खोद कर उनमे लगभग 30 से 40 किलो ग्राम प्रति गड्ढा सड़ी गोबर की खाद मिट्टी में मिलाकर और 100 ग्राम क्लोरोपाइरिफास पाउडर बुरककर गड्ढो को भर देना चाहिए।
रोपण
आम के पौधों कि रोपाई वर्षाकाल शुरू पर करनी चाहिए, पौधों के रोपण का सही समय जुलाई-अगस्त है। वर्षाकाल में लगाए पौधों के मरने का खतरा कम रहता है। रोपण की दूरी में क्षेत्र के आधार पर भिन्नता 10 मीटर गुणा 10 मीटर से 12 मीटर गुणा 12 मीटर रहती है। सूखे क्षेत्रों, में जहां वर्धन कम है, यह दूरी 10 मीटर गुणा 10 मीटर रहती है जबकि उच्च वर्षा और उर्वरा मिट्टी के क्षेत्रों में, जहां अधिक कायिक वृद्धि होती है। यह 12 मीटर गुणा 12 मीटर रहती है। मूल मिट्टी को अच्छी तरह गले हुए 20-25 किग्रा गोबर की खाद 2.5 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट और एक कि ग्राम पोटाश अच्छी तरह से मिलाकर उससे गड्ढे भरे जाते हैं।
खाद एवं उर्वरक
मृदा की भौतिक और रासायनिक दशा में सुधार हेतु 25 से 30 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद प्रति पौधा देना उचित पाया गया है। जैविक खाद हेतु जुलाई-अगस्त में 250 ग्राम एजोसपाइरिलम को 40 किलोग्राम गोबर की खाद के साथ मिलाकर थालो में डालने से उत्पादन में वृद्धि पाई गई है। आम की फसल में खाद और उर्वरक का प्रयोग कब करना चाहिए, बागों की दस साल की उम्र तक प्रतिवर्ष उम्र के गुणांक में प्रति पेड़ जुलाई में पेड़ के चारो तरफ बनाई गई नाली में देनी चाहिए।
सिंचाई का समय
आम की फसल के लिए बाग़ लगाने के प्रथम वर्ष सिंचाई 2-3 दिन के अन्तराल पर करनी चाहिए और जब पेड़ों में फल लगने लगे तो दो तीन सिंचाई करनी जरूरी है। पहली सिंचाई फल लगने के बाद दूसरी सिंचाई फलों का कांच की गोली के बराबर अवस्था में और तीसरी सिंचाई फलों की पूरी बढ़वार होने पर करनी चाहिए।
रोग और नियंत्रण
आम की फसल में कौन-कौन से रोग लगते हैं और उसका नियंत्रण हम किस प्रकार करें आम के रोगों का प्रबन्धन कई प्रकार से करते हैं। जैसे की पहला आम के बाग में पावडरी मिल्ड्यू यह एक बीमारी लगती है। इसी प्रकार से खर्रा या दहिया रोग भी लगता है इनसे बचाने के लिए घुलनशील गंधक दो ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में या डाईनोकैप एक मिली प्रति लीटर पानी घोलकर प्रथम छिड़काव बौर आने के तुरन्त बाद दूसरा छिड़काव 10 से 15 दिन बाद और तीसरा छिड़काव उसके 10 से 15 दिन बाद करना चाहिए।
आज हम आपको भारत में उपलब्ध आमों की सबसे लोकप्रिय प्रजातियों के बारे में बताएंगे-
1. अलफान्सो
यह भारत में उपलब्ध आमों की सबसे उन्नत एवं महंगी किस्मों में से एक है। जिसे ‘हाफुस’ के नाम से भी जाना जाता है. यह सुनहरे रंग का, बहुत ही मीठा एवं पौष्टिक आम होता है. इसकी पैदावार महाराष्ट्र के रत्नागिरी, रायगढ़ व कोंकण क्षेत्र में बहुतायत में होती है।
2. दशहरी
यह उत्तर भारत में प्रचलित आम की सबसे लोकप्रिय वैरायटी में से एक है। यह आम बहुत ही स्वादिष्ट होता है। उत्तर प्रदेश के मलीहाबाद क्षेत्र में इसकी पैदावार सबसे अधिक होती है। साधारण बोल-चाल में इसे चूसने वाला आम भी कहा जाता है।
3. चौसा
यह आम स्वाद में बहुत मीठा और सुनहरे पीले रंग का होता है। यह आमतौर पर गर्मी के मौसम के अंत में उपलब्ध होता है।
4. बादामी
इसे ‘कर्नाटक का अलफान्सो’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह स्वाद एवं देखने में अलफान्सो से काफी मेल खाता है।
5. लंगड़ा
इसकी पैदावार मुख्यत: उत्तर प्रदेश के बनारस जिले में होती है। यह आम पीले-हरे रंग का और अंडाकार होता है। यह भारत में सबसे लोकप्रिय आमों में से एक है।
6. तोतापरी
इसकी तोते की चोंच जैसी टिप होने के कारण इसे आसानी से पहचाना जा सकता है। यह स्वाद में बहुत मीठा नहीं होता पर यह सलाद, अचार व कोल्ड ड्रिंक के लिये काफी उपयुक्त है।
7. केसर
गुजरात का जूनागढ़ क्षेत्र केसर आमों के लिए काफी मशहूर है। यह आम अपने स्वादिष्ट टेस्ट व केसर की खुशबू के लिए जाना जाता है. अगर आप आमरस के शौकीन हैं, तो इसके लिए यह आम सबसे उपयुक्त होता
8. हिमसागर
यह एक पीले रंग का फाइबर रहित क्रीमी आम होता है, जो कि मिठार्इयॉ व ड्रिंक्स बनाने के लिए बहुत उपयुक्त है। इसकी पैदावार मुख्यत: बंगाल के मुर्शिदाबाद क्षेत्र में होती है। यह बहुत ही कम समय के लिये उपलब्ध होता है।
9. बंगपाली या सफ़ेदा
इस आम की पैदावार मुख्य रुप से आंध्र प्रदेश में होती है। यह फाइबर रहित, तिरछे ओवल शेप का पीले रंग का आम होता है। इसका छिलका काफी पतला होता और यह स्वाद में हल्का खट्टा भी होता है।
10. नीलम
यह आम अपनी अलग-सी और बेहतरीन खुशबू के कारण आसानी से पहचाना जाता है। यह दूसरे आमों की तुलना में छोटा होता है और इसका रंग ऑरेंज होता है। यह खासकर हैदराबाद में प्रचलित है और पूरे गर्मियों के मौसम में उपलब्ध रहता है।
हर प्रजाति का आम अपनेआप में बहुत ख़ास है। इसके अलबेले स्वाद, खुशबू और गुणों के कारण ही इसे सभी फलों में सिरमौर माना गया है।
भारत में कई किस्म के आमों की पैदावार होती हैं
वार्षिक किस्में
बंबइया, badam, तोतापरी, मालदा पैरी, सफ्दर पसंद, सुवर्णरेखा, sundarja, सुन्दरी, लंगडा, राजापुरी
मध्य ऋतु किस्में
अलंपुर बानेशन, अल्फोंसो/बादामी/गुंदू/आप्पस/खडेर', बंगलोरा/तोटपुरी/कॉल्लेक़्टीओं/किली-मुक्कु, बाँगनपलल्य/बनेशन/छपती, दशहरी/दशहरी अमन/निराली अमन, गुलाब ख़ास, ज़ार्दालू
वर्ष मे मध्य मे
रूमानि, समार्बेहिस्त/चोवसा/चौसा, वनरज
मौसम की समाप्ति पर
फजली, सफेदा लखनऊ
कभी-कभार फलने वाले
मुलगोआ, नीलम।
Thanks
जवाब देंहटाएं