नींबू की खेती के वैज्ञानिक तरीका।। NIMBU KI KHETI

नींबू की खेती करे वैज्ञानिक तरीके 

क्या आप नींबू की खेती करने की सोच रहे हैं? जानिए इससे जुडी जानकारी, कैसे आप 1 acer से ही लाखो कम सकते है और कैसे करे इसकी  उन्नत और वैज्ञानिक खेती, कीड़ो से बचाव | पूरे world में नीबू (lemon) का सबसे ज्यादा उत्पादन India में हीं होता है । इसलिए India के किसान चाहे तो निम्बू की खेती कर के अच्छा पैसा कमा सकते है । यदि निम्बू की खेती को कृषि वैज्ञानिक द्वारा बताए गए तरीके से किया जाये तो किसानो को अच्छी उपज मिल सकती है ।  गुजरात, जरखण्ड, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु जैसे राज्यमें निम्बू की काफी अच्छी पैदावार होती है | इसमें सुरुवाती से ले कर उत्पादन तक कम पूंजी लगती है और अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है | तो चलिए जानते है निम्बू की खेती से जुडी जानकारी विस्तार में |

नींबू की खेती कैसे करे / How to Start Lemon Farming

मैं हमेशा मार्गदर्शन करता रहा हूँ की अगर आप खेती से जुड़ा कोई बिजनेस करना चाहते है और अगर आपके पास 1 से 5 acer तक की जमीन है तो सही मार्गदर्शन ले कर इसमें जम जाइये | तो अगर आपके पास खली पड़ी हुई कम से कम 1 acer की जमीन हो तो आप नींबू की खेती करके अच्छी आमदनी कमा सकते है | सुरुवात में भले ही आपको 2-3 साल फल लगने में 
इंतजार करना पड़े पर उसके बाद आप आसानी से हर साल लाखो रूपया बैठे बैठे  कमा सकते हैं | तो चलिए जानते है कैसे आप भी निम्बू की उन्नत खेती कर के खुद कमाई कर सकते हैं |

नींबू की खेती के लिए भूमि

नीबू की खेती को लगभग सभी तरह की भूमि पर सफलता से किया जा सकता है । लेकिन फिर भी दोमट मिट्टी वाली भूमि जहाँ जल-प्रणाली का उत्तम प्रबंध किया गया हो उसे हीं निम्बू की खेती के लिए सबसे अच्छा माना गया है । निम्बू की खेती के लिए भूमि की गहराई लगभग 2.5 मी.या से ज्यादा होनी चाहिए और इसका ph मान लगभग 7.0 तक होना चाहिए तभी निम्बू की अच्छी वृद्धि और उपज मिलती है । ऐसी मिट्टियाँ और ऐसा area जहाँ पर पानी जमा हो जाता हो उसे नींबू की खेती के लिए सही नहीं माना जाता है ।

निम्बू की खेती के लिए जलवायु

 
निम्बू की खेती के लिए गर्म और सूखा ओर भेजवाला, पाला और जोड़ की हवा से मुक्त वाले विस्तार को अच्छा माना जाता है । निम्बू की अच्छी वृद्धि और इसके अच्छे उत्पादन के लिए 20-32 डिग्री से. तक का तापमान की आवश्यकता होती है साथ हीं इसकी खेती में औसत वार्षिक वर्षा 750 mm से ज्यादा नहीं होनी चाहिए ।

निम्बू की उन्नत किस्मे

वैसे तो आज मार्केट में कई तरह के निम्बू  हैं जिसकी अच्छी मांग है | अगर आप निम्बू की खेती को एक बड़े बिजनेश में ले जाना चाहते है तो यह काफी जरुरी है की आप सही किस्म के निम्बू का चुनाव करे ताकि आपको अधिक से अधिक मुनाफा मिले | इनमे से कुछ नींबू हायब्रिड भी होते है जो अच्छी पैदवार देतीं हैं |
 

कागजी निम्बू। –यह ज्याया क्षेत्र में लगाया हुई  किस्म है। जो बहूत खट्टा होता है। 

बालाजी नींबू– इसके फल भी गुच्छे में हीं फलते है । एक गुुच्छे में लगभग 4 से 5 फल लगते है । कागजी नीबू से साईज बड़ी होती है। प्रोडक्शन ज्यादा रेहता है और बरामाहि किस्म है। 

सीडलेस नींबू – इस निम्बू में बीज नहीं होते है और इसके फल से लगभग 65% रस निकलता है ।
पि.के. एम् -1 – यह भी ज्यादा उत्पादन वाली किस्मो में से एक है । इसके फलो से लगभग 50% रस प्राप्त हो जाते है ।

ऊपर दिए गए निम्बू के किस्मो के अलावा साईं सर्बती, सीडलेस निम्बू , भी निम्बू के उन्नत किस्मो में से एक है ।

बीज रोपण 
नींबू के पौधों को रोपने का सबसे सही समय जून से जुलाई तक का होता है और अगर सिंचाई का प्रबंध सही से किया जाये तो इसकी रोपाई फरवरी और मार्च में भी की जा सकती है । पौधे को रोपने से पूर्व हर एक गड्ढे की मिट्टी में लगभग 10 kg गोबर की खाद, 1 kg निमखली की खाद और 1 kg सुपर फ़ॉस्फ़ेट को अच्छी तरह से मिक्स कर दें । पौधों को रोपने समय हर एक पौधों के बीच का अंतर लगभग  10-10फिट सघन बागबानी में ओर 20-20 फिट सामान्य तरीके में अंतर होना चाहिए ।

खाद प्रबंधन 
नींबू की खेती में सड़ी हुई गोबर की खाद को हर साल दिया जाता है । पहले साल में 10 kg दुसरे साल में 10 kg तीसरे साल में 20 kg और इसी तरह हर साल पिछले साल का दोगुना खाद देना होता है । निम्बू की खेती में ऑर्गेनिक खाद साल में दो बार डालना पड़ता है । पहला दिसेम्बर- जनवरी में और दूसरा एप्रिल और मेर
 में । जो वृक्ष फल देने वाले होते है ऐसे वृक्ष में 60 kg गोबर की खाद, 10kg नीमखली की खाद, 2.5 kg अमोनियम सल्फ़ेट, 2.5 kg सुपर फास्फेट और 1.5 kg म्यूरेट ऑफ़ पोटाश का उपयोग करना चाहिए ।

सिंचाई
निम्बू की खेती में सालो भर नमी की जरुरत होती है । वर्षा के मौसम में सिंचाई की जरुरत नहीं होती है । ठंड के समय 1 महीने के अंतर पर सिंचाई और गर्मियों में 10 दिन के अंतर पर सिंचाई करना होता है । 

निम्बू का रोग व कीट से बचाव
 
नीबू का सिला – यह कीट नयी पत्तियों और कलियों से रस चूस जाते है । इस कीट के प्रकोप से   पत्तियां गिरने लगती है । इस कीट से एक तरह का चिटचिटा पदार्थ निकलता है जिस पर काली मोल्ड जम जाती है । इस कीट के नियंत्रण हेतु इससे प्रभावित सभी भाग को काट कर जला दे ।

निम्बू कि तितली – यह कीट नर्सरी के पौधों को काफी नुकसान पहुंचाती है । इसके green color के इल्ली पत्तियों को खा जाते है । यह किट April से May तक और August से October तक ज्यादा लगते है । निम्बू कि तितली से नियंत्रण के लिए अपने खेतो में नीम के काढ़ा का छिडकाव मैंईक्रोझाइम के साथ मिलकर स्प्रे करना चाहिए।

कीट – माहू कीट december से march तक ज्यादा लगते है । यह कीट फूलो व पत्तियों के सारे रस चूस जाते है जिससे फूल व पत्ते दोनों हीं कमजोर होकर गिरने लगते है । इस कीट के नियंत्रण हेतु खेतो में नीम का काढ़ा का छिड़काव करना चाहिए ।

कैंकर रोग – यह रोग विशेष रूप से निम्बू पर हीं लगते है । इस रोग के लगते हीं पहले निम्बू के पत्तियों पर हल्के पीले रंग के होने लगते है और फिर वे धब्बे आहिस्ता आहिस्ता गेहरे ब्राउन रंग के हो जाते है । इस रोग के बढ़ने से शाखाएं और फल दोनों हीं ग्रसित हो जाते है । इस रोग के नियंत्रण हेतु रोग से ग्रसित शाखाओ को पौधों से छाट कर अलग कर देना चाहिए । उसके बाद कटे हुए सभी शाखाओ पर ग्रीस लगा दिया जाता है । इसके बाद बरसात शुरुआत होते हीं माइक्रो झाइम और नीम का काढ़ा का छिड़काव किया जाता है  । 

गोदार्ती रोग – यदि इस रोग का आक्रमण तने पर हो तो इस रोग को गोदार्ती तना बिगलन कहा जाता है । इस रोग के प्रकोप से छाल में से गोंद की तरह एक पदार्थ निकालता है जिससे छाल brown हो जाती है और उसमे दरारे होने लगती है । 

नीम्बू रोग से बचने हेतु बहुत से उपाय है जैसे की :-
खेत में से जल निकलने का अच्छा प्रबंध करना होगा और साथ हीं इस बात का भी ध्यान रखना होगा की सिंचाई का पानी direct तने के संपर्क में नहीं आने चाहिए । इस रोग से ग्रसित भाग को किसी तेज़ धार वाले चाकू से छिल कर फिर उसके ऊपर से ग्रीस लगा दें ।
नीम का काढ़ा या मिट्टी का तेल(Kerosene) का भूमि में छिड़काव करे । 

विषाणु रोग – इस रोग के वजह से पत्तियों पर हरे रंग की महीनता नज़र आने लगती है । इसके अलावा पत्तियां और टहनियां सुुुखी होकर सुख जाती है । इससे बचना है तो नीम के काढ़ा को पूरे खेत में छिड़क दें ।   
                   
फसल की तुड़ाई
खट्टे नींबू के पौधों में एक साल में कई बार फल लगते है और इसके फलो को तैयार होने में लगभग 6 महीना का समय लगता है । जब फल पक कर हरे रंग से पीला रंग हो जाता है तब उसकी तुड़ाई शूरू कर दी जाती है ।

उपज
यह अक्सर पुचा जाता है की निम्बू के पेड़ पर कितने साल से फल लगने लगते है | वैसे तो 1 साल के बाद ही निम्बू के छोटे-छोटे फल लगने लगते है पर वह किसी काम का नहीं होता है |  3 से 4 साल के होने तक निम्बू के पेड़ में अच्छी मात्र में निम्बू फल लगने लगते है | और 5 से 6  साल की उम्र वाले पौधो से सालाना 2,000 से 5,000 निम्बू के फल प्राप्त किये जा सकते है।

जानिये हमारे 1 एकड़ नींबू के प्रोजेक्ट के बारे में

🍋 नींबू की किस्म - कागज़ी निम्बू  ( इस किस्म के फल सम्पूर्ण भारत में आसानी से बिक जाते है और क़्वालिटी बहुत अच्छी होती है। )

✅ एक बार फल लगाने के बाद निम्बू के पौधों की उम्र 30 - 35 साल तक होती है। यानी लगाने के बाद 30 से 35 साल तक फल मिलते रहते है।

🌳 1 एकड़ में नींबू के 450 पौधे लगते है।

🌿 पौधे से पौधे की दूरी - 10 × 10 फ़ीट 
🌿 लाइन से लाइन की दूरी - 10 × 10 फ़ीट

🍂 दो साल में नींबू का उत्पादन - प्रति पौधे पर एक साल में फल 25 से 30 किलोग्राम फल लगते है। तथा हर साल फलों के उत्पादन में बढ़ोतरी होती रहती है। प्रति पौधे उत्पादन 100 से 150 किलो तक उत्पादन चला जाता है।

⭐ निम्बू के फलों की औसत रेट - 30 रुपये किलोग्राम

⭐ यदि उत्पादन 25 किलो और रेट 30 ₹ हो तो 750 रुपये प्रति पौधा से एक साल में मिल जाते है।

⭐ 1 एकड़ में  - 450 पौधे × 725 = 3 लाख 26 हजार रुपये एक साल में।

⭐ नींबू की खेती में खर्च एक पौधे पर - 10 से 20 रुपये

 ⭐ 1 एकड़ में पौधे - 450( 10 × 10 फ़ीट)

⭐⭐ पहेली बार फल लगने का समय - 1.5 से 2 साल में

 आदर्श पौधों की लंबाई - 2.5 फ़ीट जो आपके खेत में हम लगाते है ओर पौधे की आयु - 12 से 15 महीने के जो आपके खेत मे हम लगाते है।

अधिक जानकारी और गुणवत्ता वाले पौधे खरिदने के लिए हमारे पेज Shayona Agriculture को लाईक करे ओर सम्पर्क करे। ऐसे जानकारी के लिए हमारे ब्लॉग agrialp से जुड़े रहे।



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